भारत में हाइपरलूप ट्रेन ट्रांसपोर्टेशन
दोस्तों , पिछले कुछ महीनों अथवा बीते वर्ष से आप सुन रहे है की भारत में भी 2022 तक बुलेट ट्रेन आ जाएगी और उस पर कार्य प्रगति पर है ! माना जाता है की यह ट्रेन 360 किमी प्रति घंटा से रफ़्तार पकड़ कर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचाएगी ! हालांकि आज प्रयोग में आने वाली ट्रेनों का हादसा रोकने में हम अभी भी अक्षम है और हाल ही उड़ान एक्सप्रेस में लोगो द्वारा की गयी तोड़ फोड़ और हेडफ़ोन की चोरी जग जाहिर है ! अंदाजा लगाया जा सकता है की तकनीक और बौद्धिकी के मामले में हम कहा खड़े है ! खैर आप लोग बुलेट ट्रेन के बारे में जानते ही है परन्तु आज हम ऐसी ट्रेन के बारे में बता रहे है जो की बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से चार गुना तेज़ है ! ये करीब 1200 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार पकड़ सकती है ! यानि की ध्वनि की गति के बराबर रफ़्तार प्राप्त करने में सक्षम है ! यह ट्रेन हाइपरलूप तकनीक से लेस्स होगी I फिलहाल इस प्रकार की तकनीक वाली ट्रेन का प्रथम ट्रायल अमेरिका में हो चुका है I अनुमान के अनुसार इस प्रकार की प्रथम ट्रेन अमेरिका में आने वाले वर्ष 2018 में उपलब्ध रहेगी I इस ट्रेन के माध्यम से लॉस ऐंजेलिस से कैलिफ़ोर्निया के बीच 650 किमी की दूरी मात्र 30 मिनट में तय की जाएगी ! इस प्रकार की ट्रेन से अमेरिका के 50 शहरों को जोड़ा जाएगा ! टेस्ला मोटर कंपनी के सीईओ और स्पेक्स कंपनी के मालिक इओन मस्क के इस सपने को करीब 100 इंजीनियर साकार करने में लगे हुए है ! यह आविष्कार ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी प्रयोग है ! हवाई जहाज़ से भी तेज़ गति से अपने गंतव्य तक पहुंचने वाली ये ट्रेन कई घंटो के सफर मात्र कुछ मिनटों में तय कर देगी ! भविष्य के अद्भुत आविष्कार ट्रेन की हाइपरलूप की कार्य प्रणाली को समझते है और साथ ही भारत में इसके उपयोग एवं महत्व को इस लेख के माध्यम से समझते है I
हाइपरलूप कार्यप्रणाली :
हाइपरलूप ट्रेन चुंबकीय शक्ति पर आधारित तकनीक है।जिसके अंतर्गत खंभों के ऊपर (एलीवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है। इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी (पोड ) हवा में तैरते हुए चलती है ! ट्यूब पूर्णतया वैक्यूम होती है अर्थात हवा रहित जो की चुंबक के दो समान ध्रुव जो की आपस में प्रतिकर्षण रखते है उनके बीच खम्भों पर टिकी रहती है I पोड के आगे के एरिया में एक वायु कंप्रेसर होता है जहां एयर स्टोरेज की जाती है जो हाई प्रेशर जनरेट करने का माध्यम होता है ! पोड के मध्य में पैसेंजर कम्पार्टमेंट होता है जो की साउंड वाल और सस्पेंशन सिस्टम के मध्य में होता है ! पोड के अंतिम में लौ प्रेशर जनरेट किया जाता है ! इस प्रकार प्रेशर का हाइपर लूप बनने से ये पोड वैक्यूम रहित ट्यूब में ध्वनि की रफ़्तार के समान तेज़ गति से आगे बढ़ता है !
विशेषताएँ :
- हवा रहित ट्यूब होने से इसमें घर्षण नहीं होता जिससे पोड 1200 किमी प्रति घंटा से अधिक की रफ्तार से गतिशील रहता है !
- यह इको फ्रेंडली है और साथ ही विद्युत का भी न्यूनतम खर्च आता है !
- भविष्य में यह यात्री एवं माल परिवहन में अग्रिम रोल अदा करेगी ! इससे इस क्षेत्र में सालाना 15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी !
ख़ामियाँ :
इसकी मुख्य कमी यह है की यदि किसी कारण वश या दुर्घटना अथवा हमले की वजह से ट्यूब पर होने वाले नुक्सान को सुधारने में अधिक खर्च आएगा क्योंकि आंतरिक भाग में ब्रेक डाउन होने से सुधार का खर्च अधिक आएगा !
भारत में हाइपर लूप ट्रेन का भविष्य :
हालांकि हमारे देश में फिलहाल बुलेट ट्रेन के कार्य को जोर शोर से किया जा रहा है परन्तु देश की 5 कंपनियों ने जो की हाइपर लूप ट्रेन पर कार्य कर रही है ! उन्होंने वर्तमान रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु से मिलकर इस प्रकार के ट्रेन को भारत में विकसित एवं ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया है ! रेल मंत्री जी ने भी इसे काफी रोमांचित बताया है ! हालाँकि देखना दिलचस्प होगा की वर्तमान सरकार आने वाले दिनों में बुलेट ट्रेन के सपने साकार करने के साथ साथ हाइपर लूप के ट्रेन प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को भी स्वीकारती है या नहीं ! अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली से मुंबई के बीच का सफर मात्र सवा घंटे में किया जा सकता है ! हालांकि फिलहाल तो इस प्रकार का प्रोजेक्ट दुनिया में भी प्रारंभिक अवस्था में तथा भारत में आने में शायद इसे कुछ साल और लगेंगे I
भारत की पांच कम्पनियाँ :
निम्नलिखित 5 स्वदेशी कम्पनियाँ है जिन्होंने भारत में हाइपर लूप ट्रेन प्रोजेक्ट चलाने में रूचि दिखाई है !
- डिनक्लिक्स ग्राउंडवर्क्स कंपनी दिल्ली-मुंबई हाइपरलूप का निर्माण करना चाहती है। हाइपरलूप ट्रेन 1317 किलोमीटर की इस दूरी को मात्र 55 मिनट में पूरा करेगी।
- ऐकॉम ने 334 किलोमीटर लंबे बंगलोर-चेन्नई रूट का प्रस्ताव दिया है। हाइपरलूप यह दूरी केवल 20 मिनट में तय करेगी।
- लक्स हाइपरलूप नेटवर्क ने बंगलोर-तिरुवनंतपुरम के 636 किलोमीटर रूट में रुचि दिखाई है। हाइपरलूप इसे 41 मिनट में तय करेगी।
- हाइपरलूप इंडिया मुंबई-बंगलोर-चेन्नई के 1102 किलोमीटर लंबे रूट को 50 मिनट में पूरा करने के लिए काम करना चाहती है।
- इंफी-अल्फा ने 334 किलोमीटर लंबे बंगलोर-चेन्नई रूट को 20 मिनट में पूरा करने के लिए हाइपरलूप कॉरीडोर बनाने का दावा पेश किया है।
दोस्तों आप हाइपर लूप ट्रेन के बारे क्या सोचते है अथवा इस लेख के बारे में आप अपने विचार नीचे कमेंट के माध्यम से अवश्य दे ! साथ ही इस जानकारी को शेयर कर अधिक लोगो में पहुंचाने में मदद करे ! साथ ही इसी तरह की जानकारी भविष्य में भी प्राप्त हो इसलिए हमारे पेज को सब्सक्राइब अवश्य करें I
very nice !!!
ReplyDeletewonderful information .. well written !!
ReplyDeletethat is so great, I mean the speed of sound is 340 m/sec and the speed of this train can be same is like travelling by an plane but on the ground.
ReplyDeleteAwesome ..
ReplyDeletevery nice ..
ReplyDeletewow wonderful information and brother you described it very well !!
ReplyDeletethanks to all for comments !!
ReplyDeleteyou have some wonderful information & ideas.. keep it up!!!!
ReplyDeleteBullet train se acchi to ye wali train he
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